Madhu varma

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लेखनी कविता -बनूँगा डॉक्टर - बालस्वरूप राही

बनूँगा डॉक्टर / बालस्वरूप राही


खूब लगन से पढ़- लिख कर,
हो कर बड़ा बनूँगा डॉक्टर।
स्टेथस्कोप गले में डाले
और हाथ में बेग संभाले,
जल्दी-जल्दी पाँव बढ़ा कर
जाऊँगा मैं रोगी के घर।
यदि ऐसा रोगी मिल जाए,
ठीक न जो कोई कर पाए,
ऐसी दवा अनोखी दूँगा
रोग तुरंत होगा छूमंतर।

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